अंगारक दोष
ज्योतिष शाष्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में क्रूर ग्रह राहु और सेनापति ग्रह मंगल एकसाथ हो या दोनों की युति हो तो यह अंगारक दोष कहलाता है।
प्रभाव-
यह दोष अच्छा नहीं माना जाता है। इस दोष में जातक बुद्धिहीन , क्रोधी, घमंडी तथा घर में या ऑफिस में कलेश करने वाला होता है। इस दोष में जातक छोटी छोटी बातों को लेकर आपस में लड़ाई झगड़ा करते है। यह दोष कुंडली की शुभता को प्रभावित करता है। व्यक्ति के जीवन में इसका गलत असर पड़ता है। मंगल तथा राहु (केतु) अग्नि के समान होते है इनका एकसाथ रहना ही बहुत बड़ा दोष देखने को मिल सकता है। अंगारक दोष में जहां पर मंगल अग्नि के समान है वहीँ राहु-केतु धुएं को दर्शाते है ऐसे में दोनों का साथ रहना मानव जीवन में कई प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है।
उपाय-
मंगल एवं राहु का पूजन करवाएं।
भगवान् भैरव को केले के पत्ते में चावल का भोग लगा सकते हैं और देशी घी का दीपक जला सकते हैं
मंगलवार के दिन चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी को लेप लगाएं और पांच बूंदी के लड्डू चढ़ाएं।
बुधवार के दिन दिन कबूतरों को बाजरा डालना है।
मंगलवार के दिन ताम्बा एवं पीतल का कड़ा बनाकर धारण करें।